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भारत की मासिक धर्म स्वच्छता: दर्दनाक आंकड़े

🩸 2015-16 से 2019-21 के बीच, सुरक्षित मासिक उत्पादों का उपयोग केवल 37% से बढ़कर 50% हुआ — यानी नवयुवतियों का आधा हिस्सा अभी भी असुरक्षित तरीकों पर निर्भर है। PubMed Central


🏞 ग्रामीण-शहरी अंतर:


शहरों में करीब 90% महिलाएं सुरक्षित तरीकों (पैड/कप) का उपयोग करती हैं,


लेकिन ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा मात्र 72% ही है। 


2019-21 में बिहार में केवल 59% महिलाएं ही सुरक्षित तरीकों का उपयोग कर पा रही हैं — यानी 41% अभी भी असुरक्षित हैं। 


इन आंकड़ों का दर्दनाक असर

जिन लड़कियों को मासिक धर्म स्वच्छता तक पहुँचनी चाहिए, उन्हें हर महीने इन्फेक्शन, शर्म, और भविष्यहीनता की विभीषिका झेलनी पड़ती है।


हर दूसरी लड़की अपर्याप्त संरक्षण की वजह से स्कूल से दूर रहती है, उसकी पढ़ाई, आत्म-विश्वास और जीवन के सपने सब दहशत और शर्म से प्रभावित होते हैं।


देश का विकास तब तक अधूरा रहेगा, जब तक हर लड़की को मासिक धर्म के दौरान वह संरक्षण और सम्मान नहीं मिलेगा, जो उसकी आत्मा और गरिमा का हक है।

परिवर्तन का एक मौका — आपके साथ
“एक छोटी सी मदद = एक लड़की की ज़िंदगी का बड़ा बदलाव”

त्रेता युग फाउंडेशन लड़कियों को दर्द नहीं, सम्मान और स्वच्छता देना चाहता है।

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